नवांगव में नउकरी करे बर नवा नवा गे रहय चौहान गुरूजी। चौहान गुरूजी बड़ बिद्वान रहय नानम परकार के कला ओकर मेर रहय। कबि, लेखक, तबला वादक, गीतकार फेर गुरु जी ला अपन कला ऊपर एक पइसा घमण्ड नई रहय जी। अपन काम ला सही समय म निपटाना अऊ लइका मन ला पढ़ाय बर बड़ उत्सुक रहय। नवागांव के इसकूल में पहली दिन गिस देखिस की इसकूल में पढ़े के नाम म दू चार झन लइका मन आय रहिस। गुरूजी मन में बिचार करिस का बात हरे एतेक बड़ गाँव हावे अऊ दू चार झन लइका बस पढ़ेे बर आय हवे। सँझा कुन लइका मन ला छुट्टी देके गाँव के गली डहर जाथे। भकला के पान ठेला में रुकथे भकला देख के ही जान डरथेे ये गुरु जी हरे कहिके अऊ कथे राम राम गुरु जी गुरूजी राम राम बाबू एकठन पान लगा तो बाबू महूँ ला आज सउख लगत हवे खायके गा। भकला हव गुरूजी गुरूजी पान खात कस बाबू एकठन बात पुछव ग भकला जोर देवत हा हा पूछना गुरूजी का बात हरे तेन ला बात अइसन हरे गाँव तो अड़बड़ जन हे भाई फेर लइका मन इसकूल में नाम मात्र के आथे का बात हरे भकला गुरूजी हमर गाँव में चार झन भारी भारी पढ़े लिखे लइका हवे फेर सोझे घूमत हवे काम के न बुता के तेला देख के कोनो नई पढ़ाय हमरो लइका बिगड़ जाही पढ़ लिख के अऊ आखिर नागर तो जोतना हवे आज नही तो काली कहिके नई भेजय गा उन ला कोन बताय फगवा , जकला अऊ समारू हा इसकूल के नाम म जाथव कहिके गाँव के मेड़ो म मछरी गरी के पढ़ाई करय एक दिन इसकूल त एक दिन मछरी पकड़य तीनो के जुग बंधे रहिस कभू चिरई मारय खार में जाके त कभू टुरा मन रात दिन इसकूल जात हन कहिके बिडिओ देखे ला जाय घर के मन काय जानय काम बुता मा बिट्टाय रहय बेटा हा पड़े ला गेहे कहय। एहु पढ़ई हरे कोई गुरु जी लटेपटे म पास होय हे त का काम मिलही अऊ ओला देख के पूरा गाँव के मन नई भेजय। हमू चाहथन गुरुजी हमरो गाँव के मन बड़े बड़े बाबू अफसर बनय फेर गाँव के अनपढ़ गवाँर मनखे ला कोन समझाय। गुरूजी बने बात बतायेव में लाहू ये गाँव में सुराज सबो लइका पढ़ी तैय देखत भर जा बाबू। गुरूजी चल देथे।
जकाड़ों मौसी के आदमी जवाने में चल बसे रहय बपरी ला बड़ दुःख मिलय सबो दुःख पिड़ा ला सहत अपन गुजरा चलाय। ओकर एक झन टुरा रहय तेने ला देख के रहय अऊ मौसी हा अनपढ़ रहिस त का होगे फेर बड़ समझदार रहिस हवे खुद नई पढ़े रहिस फेर अपन लइका ला पढ़ाय के अबड़ सउख रहय। बिहनिया कोठार ले गोबर थाप के आत रहय त तरिया पार के मन्दिर मेर भीड़ ला देख के रुक जथे अऊ कथे काय एमेर बीड़ जमे गा का बात हरे त भुरुवा बताथे की नवा गुरूजी आय हवे मौसी सबला पढ़ई के महत्तम बतावत हवे अऊ लइका ला भेजे ला कहत हवे अई बने बात आय बाबू महूँ सोचत रहेंव अपन लइका ला इसकूल भेजहु कहिके भीड़ में जाके देखथे त ओकर गाँव के सगा भाई हा गुरूजी बनके आय रहय अई तही आय हस गा नवा गुरूजी गुरूजी चिन डरथे अऊ जकाड़ो दीदी पा परत हव ओ खुश रा भाई बने करे इहे पढ़ाय बर आय हस त मोला कोनो चिंता नई हवे फेर पइसा के थोकुन चिंता हवे गुरूजी का चिंता दीदी अरे भाई जानत हस तोर भाटो गुजर गे हवे अऊ सारा खर्चा मही चलाथव ग या दीदी चिंता मत कर आज कल पढ़ाई के खर्चा सरकार हा देवत हवे पुस्तक कापी संगे संगे लइका मन ला पइसा तको। या बने हे बावू अब तो मोर चिंता दूर होगे कसके अपन लइका ला पढ़ा हूँ। तोर असन गुरूजी के रहत ले पूरा भरोसा हवे मोर बेटा हा बइठे भइठे कलम चलाही गुरूजी हा हँसत हँसत अपन डहर ले पूरा कोशिश करहूँ। गाँव में जुरिया सबो मनखे कहत हवे नही गुरूजी हमू मन अपन नोनी बाबू ल पढ़े बर भेजबो। दूसरिया दिन इसकूल खोलथे त गाँव भर के लइका आथे फेर भका मण्डल अपन नोनी ला नई भेजय गुरूजी ला पता चलथे त मन बनाथे की गौटिया ला पढ़ई के महत्व ल बताय जाय अऊ मिले ला एको दिन चले जाय।
एक दिन चौहान गुरूजी भकामण्डल घर जाथे। दुवारी मेर जाके कपाट ला खटखटाथे अऊ हूत कराथे मण्डल हवस का गा फुलमतिया हा परछी ला बाहरत रथे अऊ सुन डरथे अपन ददा ला कथे ददा गा कोन हा हूत करावत हवे तोला ददा हा देख तो नोनी कोन हरे तेन ला गाँव के होही कोनो किसानी के दिन आगे हवे त उधार बाढ़ी बर आय होही। फुलमतिया हा कपाट ला खोलथे अऊ पूछथे आपमन कोन अव गुरूजी कथे मै गुरूजी हरव नोनी सुन के पा परत हव गुरूजी गुरूजी खुश रा नोनी अऊ ते काबर नई आस इसकूल पढ़े बर फुलमतिया मोला नई भेजय गुरूजी मोर सबो संगवारी मन जाथे फेर मोर ददा मोला नई भेजय कथे हमर बाप पुरखा म कोनो बेटी म घर ले नई निकले हवे अऊ न कोनो पढ़े नई हवे कथे बोलत बोलत आँखी ले आँसू आ जथे। गुरूजी हा नोनी ला चुप कराथे में आगे हवे तोर ददा ला समझा हूँ नोनी के मन में तको आस जग जथे।
नोनी हा परछी में भइठे बर कथे अऊ अपन ददा ला भेजथे। या आपमन हा आय हव गुरूजी राम राम गुरूजी राम राम मण्डल। मण्डल काबर तकलीफ उठाय हव भई कोनो लइका मेर सोर भेज देतेव त महि चल देतेव। कुछु नई होय मण्डल घूमत घूमत आगेव। मण्डल सुना गुरूजी कइसे आना होइस मोर दुवारी मा गुरूजी बड़ विनम्र भाव से बात ला कथे बात अइसन हवे मण्डल गाँव भर के नोनी बाबू मन पढ़े बर जात हवे तुहरे घरके नोनी बस नई जात हवे आपमन काबर पढ़े ला नई भेजत हव। मण्डल बात अइसन हरे गुरूजी मोर मेर कउनो चीज के कमी नई हवे अऊ मोर बेटी बस आय एके झन आज तक मोर बाप पुरखा में बेटी जात हा ससुराल जाय के पहली नई निकाले हवे त में आज कइसे निकाल देहू गुरूजी। गुरूजी हा पढ़ई के महत्व ला बताथे देख तैहा के बात ला बइहा हा लेगे अऊ जवाना तको बदल गे हवे पहली सुविधा नई रहिस हावे अब सब होगे हवे तेकर सेती आज सबो पढ़त लिखत हवे अऊ बिद्वान बनत हवे। आज पढ़े लिखे मनखे ला कोनो नई ठग पाय अऊ अपन हिसाब किताब लेन देन सबो कर सकत हवे समझव मण्डल आप फुलमतिया ला नई पढ़ा हूँ त आगू चलके दुःख मिलही जब ससुराल जाही त। मण्डल हा अपन चीज के घमंड में आ जथे अऊ तमतमावत कथे देख गुरूजी मोर गाँव के मास्टर हरव एकर कारन आपके बात ला सुनत हव नई तो मोर सामने मा बोले के हिम्मत नई होय ककरो। गुरूजी हा मोर काम समझाय के हरे मण्डल फेर एक बार सोच लेहू फुलमतिया के जिनगी के सवाल हवे में चलत हव। फुलमतिया चुप बात ला सुनत रथे अऊ ददा के बात ला सुन आँसू डरे ला धर लेथे। गुरूजी के जाय के बाद नोनी हा कथे बाबू गुरूजी बने कहत हवे महूँ ला इसकूल भेज देतेव। भकामण्डल अपन बेटी ला चिलावत हवे तोर कबले पाखी बाड़ गे जेन अभी ले उड़े बर चालू करत हस। नही बाबू महु दू अक्छर कम से कम पढ़ लेतेव। चुप रा नोनी आज तक हमर घर में कोनो जुबान नई लड़ाये हवे अऊ ते जुबान लड़ावत हस। नोनी रोवत छुप घर भीतर चल देते।
आज 15 बछर होगे गुरूजी ला पढ़ावत गाँव भर मा बढ़ खुशयाली अऊ उमंग छाय हवे। जकाड़ो मौसी के दुरा हा आज बड़े बाबू बनगे हवे अऊ मौसी के घाम के दिन चल दिस अब आगे हवे छाँव। गुरूजी के पढ़ाय लइका मन कोनो डॉक्टर त कोनो पुलिस त कोनो गुरूजी बनगे आज गाँव में शिक्षित लइका के कमी नई हवे। गाँव भर के लइका मन मन लगा के पढ़त हवे। फुलमतिया के सहेली कमला तको डॉक्टर बनगे हवे। कमला भाटापारा के हॉस्पिटल में डाक्टरी करत हवे। फुलमतिया के शादी होगे हवे अऊ भाटापारा शहर में गे हवे। मइके मा एक पाख गुजरे रथे साँस हा फुलमतिया ला कथे जातो नोनी आज बाजार ले समान ले आबे फुलमतिया साँस के बात ला काटे नई सकय अऊ हौ दाई कहिके चल देथे। फुलमतिया कभू घर ले बाहिर नई निकले रहय आज निकले हवे ओला इसे लगत हवे आज ओकर ऊपर दुनिया के बोझ लाद दे हवे रद्दा में सोचत हवे कइसे लेह मोला पइसा के लेन देन तको नई आय में तो निचट गंवार अनपढ़ हव सोचत सोचत बाजार मा पहुँच जथे अऊ भीड़ ला देख अकबका जथे। ओला कुछु समझ में नई आय एक झन सब्जी वाले मेर जाके कथे कतका के हरे गा गोभी हा दस रुपया किलो ताय नोनी कभू लेन देन नई करे रहय कतका ला कथे गा। सब्जी वाले निचट गवाँर अनपढ़ हस का ओ दसठन रुपिया ला दस रुपया कथे। कमला तको ओ दिन बाजार आय रथे अऊ फुलमतिया ला चिन डरथे अऊ ओकर दुःख ला जान डरथे। कमला तीर में जाके अरे फुलमतिया आज बाजार मा मण्डल के महल ले आज गरीब के दुवार फुलमतिया हा का करबे बहनी सास हा बाजार भेजिस त आय हव फेर बहनी का करव में पढ़े लिखे नई हव मोला थोकुन बताबे न बहनी चल ना मोर बर सब्जी लेदे कमला चल आ मोर संग में सबो समान ला खरीद के देहु अऊ बतात जाहू फुलमितया सबला देख के समझत जाथे अऊ ओकर समझ आगे पढ़ई के कतका महत्व हवे अऊ कमला मेर रोवत रोवत कथे अपन ददा के भुकतान भोगत हवे महु ला पढ़ाय रतीस त का हो जतीस आज ये दिन देखे ला नई पड़तीस में अनपढ़ गँवार तो नई रहितेव। कमला कथे हा बहनी तोर ददा हा बहुत बड़े अनीयाय करे हवे ओकर गँवारी ला ते भोगत हस बहनी चल अब जाय के बेरा होगे। दुनो झन घर आ जथे। एक दीन के बात ये फुलमितया घरके अऊ ओकर ससुर काम बूता में गे रथे बाहिर सास बहू रथे। उहि समय सास के तबियत खताब हो जथे। कमला ला बला लाथे अऊ ईलाज कराथे। कमला हा फुलमितया ला बने समझाथेे गोली ला समय समय में देबे ठीक हो जहि अऊ कमला हा चल देथे। फुलमतिया हा आलमारी म रख देथे। आलमारी में पहली ले जुन्ना गोली रहिस हवे सबो झांझर मांझर हो जाथे। गोली दे के बेरा हो जथे फुलमतिया पढ़े लिखे नई रहय ओकर बर गोली भई गोली जुन्ना गोली ला खवा देथे। थोकून बाद देखथे त सास के तन हा लकलक ले तिपगे हवे ओला संका गिस तुरते अपन संगवारी ला बुलाके लाथे कमला ला पता चल जथे अऊ भोरहा मा दूसर गोली खवाय हवे कहिके तुरते उलटी के सूजी लगा के बाहिर करवाथे अऊ ओकर सास ला बचा लेथे अऊ कथे पता हवे फुलमतिया तोर अनपढ़ गँवारी म आज जान चले गे रहिस हवे। अरे का कहव में तोला बहनी ते तो मोला भी मरवा डर रहेंव में दे रहेंव नवा गोली अऊ ते खवा दे रहे कबके जुन्ना गोली ला फुलमतिया अपन बाप ला मने मन में कोसथे अपन आप में पछतावा होथे। कुछ दिन बाद सास हा ठीक हो जथे। जब घरके गोसैया अऊ ससुर ला पता चलथे। फुलमतिया ला घर से निकाल देथे हमला निचट गंवार अनपढ़ बहू नई चाही कहिके अऊ ओकर माइक पहुँचा देथे। भका मण्डल ला सबो बात ला बताथे अऊ बाप बेटी अबड़ रोथे मण्डल कथे सबो दोष मोर हरे बेटी मोर गँवारी के कारन आज तोला कतका दुःख सहेला परत हवे ओ दिन के गुरुजी अऊ बेटी के कलपना आँखी म झूले ला धर लेथे अऊ अपन अनपढ़ अऊ गंवारपन पे अबड़ ओला दुःख होथे। अपन बेटी ला कथे आज ले मोर परन हवे बेटी में अपन गाँव में कोनो ला अनपढ़ गँवार नई रहन दव तोला पढ़ा हूँ अऊ ते गाँव के ला। चल गुरूजी मेर चलबो दुनो झन गुरूजी के इसकूल में जाथे अऊ गुरूजी के शरन में गिर जाथे। गुरूजी का होगे अऊ मोर गोड़ तरी काबर गिरते हव मण्डल रोवत रोवत अपन बेटी के दुःख दरद ला बताथे। मण्डक गुरूजी ला कथे मोर बेटी ला पढ़ा दव गुरूजी आज मोर गंवारी मा मोर नोनी के भविष्य बिगड़ गे। गुरूजी हा भका मण्डल के फछतवा ला देख फुलमतिया ला पौढ़ सिक्छा के तहत पढ़ाथे। फुलमतिया हा खूब मन लगा के पढ़थे। सबो कलास में आगू रथे। आज फुलमतिया हा चौहान गुरूजी के आशीष ले महाविद्यालय ला पूरा कर मास्टरनी बन गे हवे। अपन इसकूल के छुट्टी होय के बाद गाँव के अनपढ़ गँवार महिला पुरुष मन ला पढ़ावत हवे फुलमतिया के गाँव में आज कोनो अनपढ़ गँवार नई हवे।
-हेमलाल साहू
ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
(छ.ग.) मो. न.-9977831273
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