जेवारा तिहार हमार छत्तीसगढ़ के एकठन बड़का तिहार आय। जेवारा तिहार हा छत्तीसगढ़ के एक परम्परा आय। जेवारा तिहार के धार्मिक अऊ संस्कृतिक महत्व हे ये तिहार हा हर साल चईत महीना के शुक्ल पक्छ मा सुरवात होथे ते हा नव दिन ले चलथे।
चईत के महिना रहे, शुक्ल पक्छ मा आय।
जेवारा बोये भगत, नव दिन मन ल लगाय।।
भगत हा जेवारा बोय के अपन कुल देबी ला खुश करथे अऊ अपन परिवार बर मनोती मागथे की सदा मोर परिवार हसी खुसी से राहय। कई भगत हा जब घर मा बिपति आय रथे त अपन कुल देबी ला बदना बदथे
हे देबी दाई मोर ये, बिपति ल करव दूर।
जेवारा मे हा बदत, सीजन म करव पूर।।
कुल देबी दाई हा भगत के अरज ला सुन ओकर बिपति दूर करथे अऊ भगत हा जेवारा सीजन मा जेवारा बोथे। जेवारा घलो हा अलग अलग कुल देबी के अलग अलग होथे ककरो कुल देबी हा सेत नरियर वाला होथे त ककरो हा मारन वाला होथे जेमा बोकरा ला पूजे जाथे मारन वाले जेवारा हा एक दिन के पाछू बोथे अऊ पाछू ठंडा होथे।
ककरो हावे सेत गा, लेवे नरियर पान।
ककरो मारन गा हवे, लैय बोकरा जान।।
जेवारा बोये के पहली गांव के देबी देवता ला नेवता भेजथे। फेर सुरु दिन बिरही फिलोथे जेमा गेहू , तिली, जवा, अऊ कई ठन फसल ला लेथे ओकर बाद कुम्हार घर के कलसा मा जेवारा ला बोथे। खप्पर मा हुम धूप ला ला दगाथे छेना मा। जोत ला माई पाठ पिड़वा मा जलाथे चकमक पथरा ले। जोत हा नवदिन ले जलते रथे। जोत हा देबी के परमान हरे। ये परम्परा पुरखा ले चले आत हे कई बात हा समझ मे तको नई आय फेर भगवान के लीला मान लेबे त सबो समझ आ जथे। जेवारा सेवा करे बर सेउक तको होथे जेन हा झाँझ मजीरा मादर के संग रोज दाई के दुवारी सेवा बजाते।
नवदिन सेवा ला करे, खूब जस गीत गाय।
सेउक सेवा ला करे, माता दुवार आय।।
सेउक हा सेवा करे, जस गीत ला सुनाय।
बाजत मादर झाँझ हे, माता मन भर आय।।
घूमर के बाजे ताल हा, चढ़े बरुआ जाय।
नाचे मादर के ताल मे, देख देख मन आय।।
सेउक मन सेवा गीत ला गात मादर के ताल मारथे त भगत मन माता के दरबार मा बरुआ बन चडके खूब नाचथे कोनो साट लेले के त कोनो बाना लेके नाचत हे माता के देवालय मा। हर दिन माता के अलग अलग वार रथे ओकर हिसाब ले पूजा करथे। माता के देख रेख करे बर पंडा रथे जोन नवदिन तक उपास रथे ओकर संगे संग घर के तको कतको सदस्य मन हा घलो उपास रथे।
रेख देख नवदिन करें, पंडा हवे उपास ।
माता के सेवा करे, मन मा रख बिसवास।।
नवदिन मा आठवा दिन आठवाहि होथे जेमा गाँव भर के नरियर धरके आठवाहि चढ़ाये जेवारा घर मा आथे सगा पहुना घलो नेवता दे रथे त ओमन हा भी घलो आथे।
नेवताय सबो हे सगा, सबे गाँव के आय।
नरियर धरके आय हे, अठवाहि ला चढ़ाय।
अठवाहि के दिन हुमन पूजा होथे संग मा सेउक घलो सेवा ला करथे। ये परकार ले नवदिन के सेवा जतन करे के बाद जेवारा दाई ला नवमी के दिन बिदा करथे। जब घर ले निकालथे त बरुआ मन अबड़ चढ़ते
कोनो घोण्डत आत हे, कोनो दौड़त आय।
कोनो आय चिलावत त, दरसन ओहा पाय।।
ये बरुवा चड़थे तेन अजरच लगते फेर देबी के महिमा सबो बर होथे सहाय। जेवारा दाई ला सेवा बाजत तरिया मा लेगथे संग गांव के देबी देवता मेर तको भेट कराथे
देवी देवता हा मिले, सुख दुःख अपन बताय।
भेट करव दाई तुमन, सबो आज सकलाय।।
फेर तरिया मा ठण्डा कर घर आ जाथे।।
भूल चूक माफी करव, तोर सरन मे आय।
हे देबी जुड़ाव तुमन, करहू सदा सहाय।।
-हेमलाल साहू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें