जुलाई 17, 2016

@ढेकी@


          ढेकी हमर छत्तीसगढ़ के धन कुट्टी मसीन आय। ढेकी के नाव लेवत ओकर फोटो आँखी मा झूले ला धर लेथे। पुरखा के हमर निसानी आय फेर आज समे के साथ नंदागे। फेर आज भी ककरो ककरो घर देखे ला मिलथे।  पहली जवाना में साधन नई रहिस त एकरे उपयोग करत रहिस। आज आधुनिक साधन आय के बाद भले ढेकी हा नंदागे हावेे। फेर अपन समय म अबड़ काम के रहिस। आज भी ढेकी के उपयोग कउनो कउनो घर मा  करत हवे। आज के लइका मन ला पुछबे त काला ढेकी कथे बोलथे। ओला पता तको नई हवे  अऊ जानत तको नई हवे।ढेकी छत्तीसगढ़ के धान कुटे के मसीन आय। एमा पइसा या रुइया के जरूरत नई लगय मनखे के जाँगर अऊ समय के जरूरत पड़थे। ढेकी मसीन ला बनाय के समान ओकर भाग सबले पहली एकठन मोटा अकन डाड़ी जेला बढ़ई हा छोल चाच के लमसोर करथे आगू हा मोठहा अऊ पाछू हा पतला पाछू भाग ला छेद करथे जेमा थरा लगथे। एकर बाद एकठन मुसरी बनाय जाथे जेन हा लकड़ी के गोल रथे अऊ लोहा के चूड़ी पहिनाथे। पखना के बाहना बनाय जाथे पखाना ला गड्डा करके गोल रखे जाथे, दुठिन धुरखिली लगथे, अऊ एकठन थरा जोन डाड़ी के पाछू कुती लगथे दुनो धुरखिलि मा थरा मड़थे अऊ डाड़ी बिच मा। डाड़ी के पाछू में गड्डा रखथे ताकी ढेकी ला ऊपर नीचे कर सकय। डाड़ी, मुसरी, थरा, बहना, धुरा मिलके ढेकी बनथे। ढेकी ला चलाय बर दूँ मनखे लगथे एकझन कूटने वाला अऊ एकझन खोने वाला। ढेकी मा धान, दार, अउ कई जिनिस ला कूटथे। छरे के तको काम आथे। ढेकी मा मेहनत लगथे फेर बिजली अऊ पइसा के बचत करे जा सकत हवे जब भी खाली समय हवे ढेकी के उपयोग कर सकत हवे। ढेकी के कूटे चाउर मा स्वाद अबड़ रथे अऊ कनकी तको नई निकलय। पहली आधुनिक मसीन नई आय रहय त गाँव गाँव घरो घर ढेकी रखय। दिन भर काम बुता करके आतिस रतिहा आराम करतिस अउ चाँउर नई रतिस त होत बिहनिया पहरा के बेरा मा धान ला ढेकी मा कुटे के चालू कर दय। पारा परोस के मन तको जाग जाय अउ कहय देख मुधरहा होगे हवे फलाना घर के ढेकी बाजत हवे चाँउर सिरागे हवे त मुधरहा ला कूटत हवे। ढेकी के राग बड़ निक लागथे भुकरुस भुकरुस बजथे त। जब ढेकी मा धान कूटय ननन्द भौजाई ता  अबड़ हँसी मजाक होय। डोकरी दाई मन रंग रंग के हाना, किसम किसम के गोठ बताय। समे के पता तको नई चलय कब छीन बेरा होगे अउ धान तको कुटागे। अब तो मनखे मेरा ककरो मेर बात करे के समे नई हवे पहली के मन बुता काम करत करत कतका जिनगी के मजा लेवय। आज हमर ढेकी का सुरता बनके रहिगे हवे। छत्तीसगढ़ के नवा नवा लइका मन तो जानबे नई करय। हमर छत्तीसगढ़ीया भाई दीदी बहनी मन के फरज बनथे की हमर पुरखा के धरोहर ला संयोज के रखन। हमर आने वाला पीढ़ी मन जानय हमर जुन्ना धनकुट्टी मसीन ला।

पुरखा के चिन्हा हमर, रखबो संगी जतन।
जुग जुग ले सुरता रहै, नई देवन ग मिटन।।

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