जुलाई 23, 2020

निबंध- कोरोना वाइरस

*प्रस्तावना*
               एकठन अइसन वाइरस जेला हमन अपन खुले आँखी ले देख नई पावन, नानकुन गोटी ले कई गुना छोटे हावय। एकर सम्पर्क भोजन आय जेकर कारण तेजी ले फैलत हावय। एकर वैज्ञानिक नाम कोरोना वाइरस (कोविड नाइन्टिन) हावय। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हा एला महामारी घोषित कर दे हावय।

*कोरोना वाइरस काय हरे?*
                 कोरोना वाइरस अइसन वाइरस आय जेकर संक्रमण ले संक्रमित ला जोर के बुखार, सर्दी अउ सूखा खाँसी के संग साँस ले मा तकलीफ होथे। अइसन वाइरस पहली कभू नई देखे गे रहिस हावय। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तेज बुखार, सर्दी, सूखा खाँसी अउ साँस ले मा तकलीफ एकर लक्षण आय। ए वाइरस ला रोके बर कोनो प्रकार के टिका (वैक्सीन) नई बन पाय हावय, विश्व के सबो देश एकर ऊपर अपन टिका बनाय के प्रयोग करत हावय। कोरोना वाइरस संक्रामक रोग होय के कारण सम्पर्क आय ले एक दूसर ऊपर तेजी ले फैलत हावय। ये वाइरस सबले पहली चीन के वुहान मा पाय गे रहिस हावय, ते पाय के एकर जन्म दाता या जन्म स्थान चीन के वुहान शहर ला माने गे हावय। आज ये रोग हा सरी देश ला अपन चपेट मा ले ले हावय।

*कोरोना वाइरस के लक्षण*
              कोविड नाइन्टिन बीमारी के शुरुआती समय मा कोनो प्रकार ले लक्षण नई दिखय। 14 दिन बाद लक्षण एकर दिखथे जेकर कारण संक्रमित मनखे के  पहचान तुरन्ते नई हो पाय। कोरोना रोग मा सबले पहली तेज बुखार फेर सूखा खाँसी, सर्दी अउ साँस ले मा तकलीफ होथे। कोरोना वाइरस के रोग ज्यादा बढ़े  ले साँस ले मा ज्यादा परेशानी, निमोनिया अउ मनखे के मौत तको हो जाथे। सियान-समारत, छोटे-छोटे लइका, गर्भवती महिला अउ  अस्थमा, मधुमेह, हिरदय के बीमारी वाला मन ला ज्यादा खतरा रहिथे। अइसने लक्षण जुकाम अउ फ्लू मा तको पाय जाथे।

*कोरोनो वाइरस ले संक्रमित होगेंव त ?*
          कोरोना वाइरस के ईलाज नइहे एकर बीमारी ला कम करे बर दवाई दे जाथे। आप जब तक ठीक नई होय हव तब तक सबले दूर रहव, ककरो सम्पर्क मा झन आँव। अमेरिका, रूस, इटली, जापान जइसे विकसित देश मन हार खा गे हावय। कोरोनो बीमारी के वैक्सीन बनाय बर काम चलत हावय अउ एंटीवाइरल दवा के परीक्षण तको चलत हावय।

*कोरोनो वाइरस ले बचाव के उपाय*
            कोरोना वाइरस बीमारी महामारी के रूप ले ले  हावय अउ सरी जगत मा अपन पाँव ला पसार सब ला लिलत हावय। कोरोना वाइरस के कोनों ईलाज नइहे एकर बचाव हमर सावधानी ले ही हो सकथे। बचाव के उपाय-
1) घर के बाहिर जावत खानी सदा मास्क ला पहिन के निकलव बिना कारण के घर ले बाहिर झन जाव।
2) अपन आप ला भीड़- भाड़, सावर्जनिक जगह जइसे- हॉस्पिटल, ऑफिस, हाट, दुकान, पारा मोहल्ला के सभा ले दूर रहव।
3) खांसत अउ झिकत खानी मुँह ला तोप के ख़ाँसव झिकव अउ  सार्वजनिक जगह मा झन थुकव।
5) अपन हाथ ला बार बार साबुन पानी ले धोवव अउ एल्कोहल आधारित सेनेटाइजर के उपयोग करव।
6) सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट ( बस, ऑटो- टैक्सी, ट्रेन, रिक्शा ) के उपयोग झन करव।
7) सरकारी आदेश अउ दिशा निर्देश के पालन करव, शासन के गाइड लाइन के अनदेखी झन करव।
8) कोरोना के लक्षण अपन आप मा दिखाई देवत  हावय त शासन ला सूचित करव।
9) कोनो शहर या संक्रमित जगह ले आवत हव त 14 दिन तक अपन आप ला कोरनटाइन करव।
10) अपन मास्क ला सार्वजनिक जगह में झन फेकव ओला जला दव या कचरा पेटी में डार देवव।

*कोरोना वाइरस के दुष्प्रभाव*
           कोरोना वाइरस के गम्भीर दुष्परिणाम निकलिस हावय। आज सरी जगत के अर्थव्यवस्था चरमरा गे हावय अउ कईठिन समस्या ला उजागर कर दे हावय। आज भारत देश मा कोरोना ले लाखो करोड़ो मनखे के रोजगार ला छीन ले हावय। कोरोना के फइले ले दूसर प्रदेश मा जाके कमइया बनिहार अउ मजदूर मन बेरोजगारी अउ गरीबी मा दिन ला काटत हावय।  फैक्टी, बस, ऑफिस, छोटे बड़े दुकान लॉकडाउन मा बन्द होंगे जेकर ले आर्थिक मंदी आगे हावय अउ विकास हा एकदम से ठप होंगे हावय। विद्यालय, महाविद्यालय के बन्द होय ले पढ़ाई लिखाई तको ठप होंगे हावय। लाखो विद्यार्थी मन के भविष्य खराब होवत हावय। कोरोना महाकाल कई ठिन समस्या ला पनपात हावय जइसे- गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य समस्या, सामाजिक अउ परिवारिक जइसन समस्या।

*प्रकृति बर वरदान*
            कोरोना वाइरस के महाकाल मनखे मन बर अभिशाप बनिस त प्रकृति बर वरदान घलो बनिस हावय साबित। कोरोना के चलते सरी जगत मा लॉक डाउन रहिस। मोटर गाड़ी फैक्ट्री मन सब बन्द रहिस जेकर चलते प्रदूषण में कमी आइस। एक रिपोर्ट के हिसाब ले कई बच्छर बाद ये बच्छर प्रदूषण मा 50% गिरावट आइस हावय। आज वातारवरण पहली ले साफ अउ स्वच्छ होंगे हावय। प्रदूषित नदिया मन के पानी मन तको साफ होइस हावय।

*उपसंहार*
              जल्दी से जल्दी कोरोना के फैलत वाइरस ला रोके बर उपाय करें जावय। कोरोना के अइसने मामला बढ़त रही त हमर विकास के गति 50 बछर पछवा जही अउ अइसन दिन आही की कोरोना के महामारी समचे मनखे ला चट कर जाही। मनखे हाथ मा हाथ धरे देखते रह जाही। आज हमन कोरोना ले सीख लेवन अउ प्रकृति से छेड़ छाड़ झन करन। मनखे ले भगवान बने के चक्कर मा अति उपद्रव झन करन, सबो ला अपन समझत मानवता रखिन।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

जुलाई 22, 2020

*(संस्मरण) मोर सोये ले ककरो भला होंगे*



             मँय पहली कॉपरेटिव सोसाइटी में काम करत रहेंव त हर तीन महीना मा हमर ओरेशन ट्रेंनिग अहमदाबाद मा रहय। उहि समय मोर साथ कई ठन घटना घटित होय हावय। आज उहि घटना मा एकठन घटना ला बतावत हव। ट्रेनिग खत्म होय के बाद अहमदाबाद रेलवेस्टेशन से चाम्पा रेलवेस्टेशन तक के वापसी के टिकिट रहिस हावय। ट्रेन ले यात्रा करबे त चाम्पा पहुँचे मा अनुमानित 26 से 27 घण्टा लगथे यानी 12 बजे चढ़बे त दुसरैया रात के दू तीन बजे चाम्पा मा उतरबे।  ट्रेन 12 बजे रात के आइस अउ ओमा मँय चढ़गेव अउ अपन आरक्षण सीट में जाके सोगेंव। आरक्षण में इहि फायदा रहिथे की भीड़ भाड़ से दूर अउ सीट हा पोगरी रहिथे ओमा दूसर कोनो नई बैठ सके। आरक्षण सीट मा आराम करत मजा लेवत कब दुसरैया दिन पहागे पता नई चलिस अउ मँय अपन सीट मा फेर सो गेंव। रात में उतरना हे कहिके आधा नींद मा सोय ला पड़य। दुर्ग आइस त झकनाके उठेंव  येती ओती ला देखेंव अउ दुर्ग आहे कहिके फेर सो गेंव। थोकुन बाद फेर उठेंव कहाँ खड़े हवय कहिके खिड़की ले देखेंव त बिलासपुर मा गाड़ी ला खड़े पायेंव अउ अभी टाइम हावय कहिके फेर सोगेंव अउ मोर नींद लग्गे। मोर नींद खुलत थे त झकनाके के उठत अउ खिड़की ले देखथव रात के अंधियार मा कुछु नई दिखय, अपन मोबाइल ले लोकेशन चेक करथव त पता चलथे की रायगढ़ आने वाला हवय मोर जीव छटाक भर होंगे। मोर सबो नींद गायब होंगे अउ उत्ता धुर्रा सबो चीज मन ला समेट के पकड़ेेंव अउ ट्रेन के दुवारी मेर गेंव। रायगढ़ स्टेशन आइस अउ उहे उतरेंव, उतरते ही टी टी आई पकड़लिस अउ टिकिट दिखाय ला बोलथे टिकिट दिखाथंव त कहिथे येहर चाम्पा तक  हावय  चालान भरे ला परही। टी टी आई महोदय ला बतायेंव की मोर नींद पड़गे रहिस हावय त चाम्पा कब आइस पता नई चलिस अउ उठे हव त रायगढ़ आगे रहिस। टी टी आई बाबू बोलथे चल वापसी के टिकिट लेबे त छोड़हू, मँय वापसी के टिकिट लेंव त छोड़िस। अपन समान मन ला धरके चार बजे रात के प्लेट फॉर्म दू मा आके बैठेंव अउ फेर आराम से लेट के सोय ल धर ले हव। अचानक एकझन सुघ्घर गोरी नारी टूरी मोर कन आके बैठ गे मँय डर गेंव एतका रात के कोनो नइहे कहूँ ये परेतिन थोड़े हरे या ए मोला फसाना चाहत थोड़े हावय मँय उठेंव अउ डरात मुँह ला धोय ल चल दे हव। मुँह ला धोके आके बैठेंव त लड़की रोवत बोलत थे भैया ओ मेर मँय बैठे रहेंव त तीन झन टूरा मन आके मोला परेसान करत रहिस हावय इहाँ ले बाहर जाये ल कहत रहिस हावय। बिचारी हा अपन आप बीती ल बतावय अउ रोवय मोला तँय भला लगे हस ता तोर करा आके बइठे हव।  मँय चुप कराके ओला ओ टूरा मन मेर लेंगे ला बोलेंव टूरा मन आवत देखे आगू  डहर भाग गे। टूरी में पूछेंव तँय इहाँ अतेक रात के कइसे आय हस कहिके त बताइस मँय रायपुर मा हॉस्टल में रहिके नर्सिंग कॉलेज करत हव, छुट्टी रहिस त घर आवत रहेंव गलती से लोकल के जगह में सुपरफास्ट में बैठगेंव अउ ओहर शक्ति में नई रुकिस, जेकर कारण ले मँय इहाँ रायगढ़ में आगेंव मोला लेगे बर मोर बाबूजी आय रहिस होही अउ मोला नई पाके घर के मन तको परेशान होही मोर मोबाइल बन्द होगे  हावय। मोर मोबाइल से घर मा बात करिस अउ आवत हव कहिके बताइस गलती से मँय चाम्पा में आगे हव वापसी बर ट्रेन नई रहिस त इहे रुक गे हव बोलिस। ओकर चेहरा मा थोड़ा मुस्कान आइस अउ हमर ट्रेन तको आगिस दूनोझन ट्रेन में चढ़ेन अउ थोड़ा दूर बात चाय वाले आइस चाय पीयेंन शक्ति स्टेशन आइस त टूरी हाथ जोड़ के धन्यवाद कहिस अउ मोला बहुत खुसी होइस अउ भगवान ला धन्यवाद देहत सोचेव मोर सोये ले ककरो भला होंगे। 
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

जुलाई 08, 2020

*छत्तीसगढ़ साहित्य के भाषा मा उपलब्धता*- विचार विर्मश

*छत्तीसगढ़ साहित्य के भाषा मा उपलब्धता*
             
               
             छत्तीसगढ़ माटी मा अनेक कवि, लेखक मन अपन कविता, लेख, कहनी ला रचे हावय। हमर पुरखा के कतको कवि लेखक मन के रचना आज तक प्रकाशित नई हो पाइस, फेर जन मानस मा लोक प्रचलित हावय। आज कतको ददरिया, सुवा, कर्मा, भरथरी गीत, लोक गाथा, पंथी गीत, किसम किसम हाना, रंग रंग के कहनी सुने ला मिलथे अउ मिलत रहिस। ये सब्बो के एकोठिन पुस्तक नई छपे रहिस ते पाय के एकर रचनाकार मन के नाम ला नई जानन। फेर अपन उच्च कोटि के  रचना मा गुणवत्ता होय के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी मुख पोथी ले बगरत आत रहिस हावय। आज एमा के बहुत अकन रचना ला संग्रहित करके रखे हावय। फेर आज भी ए रचना मन हमर बीच मुख पोथी जन मानस मा बगरत रहिथे अउ सुने बर मिलथे।

            देखते देखत जवाना बदलत गिस अउ प्रिंट मीडिया अउ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आइस। प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जमाना मा हमर पुरखा कवि लेखक मन कतको रचना करिन अउ किताब तको छपवाइस। फेर ये समय मा छत्तीसगढ़ी भाखा के किताब जन मानस तक नई पहुँच पाइस। जेन  कविता, कहनी, गीत मन पहुँच त ओमन या तो लोक कला के माध्यम ले पहुँच या फेर रेडिया प्रसारण के जरिये से पहुँच पाइस। एकर कई ठन कारण हो सकथे, पहली बात ये की छत्तीसगढ़ राज नई बने के कारण ओ समय मध्यप्रदेश शासन हा छत्तीसगढ़ी भाखा ला महत्व नई देवत रहिस होही। दूसर बात ओ समय मा गाँव के अधिकतर मनखे मन अनपढ़ रहिस हावय, ओकर करा किताब भी रहितिस ता पढ़ नई पातिस। फेर धीरे धीरे लोग बाग मन शिक्षित होय लागिस अउ पढ़ लिख के बड़े बड़े बाबू तको बनिस। फेर हमर ये शिक्षित मनखे मन हमर साहित्य अउ भाखा ला महत्व नई दिस। इमन ला लगय की छत्तीसगढ़ी बोली ला बोले अउ पढ़े मा लोगन उनला गंवार समझही। एकर कारण इमन छत्तीसगढ़ी साहित्य ला पढ़े बर तको रुचि नई लेत रहिस हावय अउ पढ़े लिखे मनखे के अपन साहित्य के प्रति विमुख होना हमर भाखा के पतन के कारण तको रहिस हावय। ए शिक्षित मनखे मन गाँव गाँव मा ओ समय छत्तीसगढ़ भाखा मा साहित्य ला पढ़ लिख अउ सुनाके छत्तीसगढ़ी साहित्य के परचम लहरा सकत रहिस हावय।  ये सब कारण ले ओ समय हमर पुरखा के किताब मन जन मानस के बीच नई पहुँच पाइस।

              अब आज के युग ले लेथन आज प्रिंट मीडिया अउ  इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बाद आज संचार क्रांति हा मोबाइल अउ इंटरनेट के माध्यम ले सोसल में मीडिया छाय हावय। सोसल मीडिया आज हर वर्ग के बीच मा उपलब्ध हावय। फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर, ब्लॉगर के माध्यम ले। बात करन हमर साहित्य उपलब्ध आज के दौर मा त सबके बीच मा उपलब्ध हावय। भले ओ प्रिंट जइसे छपे किताब नो हय, फेर कोनो किताब ले कम नई हावय। आज हमर कतको लेखक कवि मन के ब्लागर चलत हावय, ब्लागर मा हमन अपन रचना ला सदा सदा के लिए सुरक्षित रख सकत हावन। मनखे जेन मेर पाही तेन मेर पढ़ सकत  हावय। एकर ले बड़का उलब्ध साहित्य ला अउ कहाँ मिलही? *आदरणीय संजीव तिवारी जी के ब्लॉग गुरतुर गोठ डॉट कॉम* मा कतको नवा जुन्ना रचनाकार मन के रचना उपलब्ध हावय। *आदरणीय रमेश सिंह चौहान* जी के सुरता मा तको रचना मन ला संग्रहित कर ऑनलाइन करे हावय अउ ऑनलाइन किताब मन ला बेचत तको हावय। का फेर आज के किताब के बिक्री हो पावत हावय अब आगे चलके सोच भी नई सकन कि किताब के बिक्री होही अउ हमर किताब ला पाठक खरीदही। आज डिजिटल युग चलत हावय, सब्बो जिनिस ऑनलाइन मिलत हावय त हमन ला किताब खरीदी के जरूरत नइहे अउ आज कल किताब ला कोनो नई पढ़य अउ पढ़थे त साहित्यकार मन बस। आज हमला डिटीजल बने पा परही अउ ऑनलाइन जम्मो लेख कविता ला उपलब्ध कराय ल परही। एमा हमर छंद परिवार हा बढ़िया काम  करत हावय। *छंद खजाना* अउ *गद्य खजाना* नाम के ब्लॉग मा लगभग 80 कवि मन के कविता अउ लेख ला ऑनलाइन उपलब्ध कराय हावय अउ देश दुनिया के लोग बाग ऑनलाइन कविता ला पढ़त हावय। एकर ले बड़का छत्तीसगढ़ साहित्य भाषा मा साहित्य के उपलब्धि का हो सकत हावय। आज हमर राज के भाखा ला पूरा देश दुनिया पढ़त हावय।

                  आज हमला किताब छपवाय के लालसा ले निकल के डिटीजल बने ला परही। संचार क्रांति के माध्यम ले मोबाइल ला पेन कॉपी मानके हमला ब्लॉगर मा उच्च कोटि के गुणवत्ता वाले रचना उपलब्ध कराय ल परही। फेसबुक अउ व्हाट्सएप ला प्रचार प्रसार के माध्यम बनाके के साहित्य ला जन जन तक पहुचाये ला परही। समय समय मा प्रिंट मीडिया में तको उपलब्ध होना चाही। आज हमला छत्तीसगढ़ साहित्य ला सरल अउ सुगम बनाना हावय, हमर रचना ला उच्च कोटि के गुणवत्ता वाले जन भाषा के हिसाब ले बनाना हावय। तभे जन मानस मन हमर भाखा मा रुचि लेहि अउ बढ़िया मन लगाके पढ़ी लिखी अउ हमर साहित्य हा तको पोठ होही।
         
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

जुलाई 07, 2020

*चौमास*




           *चौमास* आषाढ़ महीना के शुक्ल पक्ष एकादशी ले शुरू होके कार्तिक महीना के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन खत्म होथे। हमर किसानी जिनगानी के ओ चार महीना जेन खेती किसानी बर अड़बड़ महत्व रहिथे ये चार महीना मा खेत खार मा किसान अउ बनिहार मन खूब सेवा मन लगा के करथे। आषाढ़, सावन, भादो अउ कुंवार इहि चार महिमा मा बोनी, निदाई -कुड़ई ला सुग्घर करथे अउ फसल ला सुघ्घर तैयार करथे। वेद पुराण के हिसाब ले धर्म, कर्म, व्रत-उपवास, ईश्वर के ध्यान, साधना, तंत्र- मंत्र जप अउ दान धरम के पवित्र चार महीना ला चौमास (चौमासा) कहिथे।

*भगवान विष्णु के सोये के बेरा*
        वेद पुराण मा चौमास ला भगवान विष्णु के सोये (शयनकाल) के बेरा बताय हावय। ये चार महीना मा भगवान योग निद्रा मा रहिथे। वेद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु हा वामन अवतार ले रहिस हावय। वामन अवतार मा भगवान विष्णु हा राक्षस राज बलि ले तीन पग भुइँया मांगे रहिस हावय अउ राजा बलि तीन पग भुइँया दान करे रहिस हावय। पहली पग मा भगवान वामन हा जम्मो पृथ्वी ला, आकाश ला अउ सब्बो दिशा ला ढंग लिस। दुसरइया पग मा जम्मो स्वर्ग लोग ला ले लिस। तीसरा पग बर कुछ नई बचिस त बलि हा अपन आप ला समर्पित करत भगवान ला अपन मुड़ मा पग ला रखे ला कहिथे।  भगवान बलि के दान ले खुश होके ओला पताल लोक के राजा बनाथे अउ वर मांगे ला कहिथे। राजा बलि भगवान मेर चार महीना पताल लोक मा रहे बर वर माँगथे। तब भगवान बलि के भक्ति ला देख के ओला वरदान देथे की चार मास पताल लोक मा रइही।  इहि चार मास पताल लोक मा भगवान योग निद्रा मा रहिथे। ये चौमास महीना मा वेद पुराण के अनुसार बिहाव, यज्ञ अउ शुभ काम ला नई करय।
*शिव परिवार करथे जग के रेख देख*
            धर्म शास्त्र के अनुसार जग के संचालन अउ रेख देख जगत पालन हार भगवान विष्णु हा करथे, फेर भगवान सोये बर चल देथे त सबो रेख देख जग के संचालन ला भगवान शिव अउ उँकर परिवार हा करथे। ये चौमासा मा शिव अउ उँकर परिवार ले जुड़े सब्बो व्रत तिहार ल मनाय जाथे। सावन महीना हा पूरा भगवान शिव ला समर्पित रहिथे। भक्त मन भगवान के उपवास रखथे अउ खूब पूजा अर्चना करथे। कतको भक्त मन ये महीना मा बाल दाढ़ी नई कटवावय। एकर बाद भादो मास मा भगवान गणेश के दस दिन ले जन्मोत्सव मनाय जाथे। कुंवार महीना मा शारदीय नवरात्रि मा दुर्गा दाई के बड़े धूम धाम ले पूजा भक्ति करथे।
*चौमास के वैज्ञानिक महत्व*
       चौमास के धार्मिक, सामाजिक के संग संग वैज्ञानिक महत्व तको हावय। ये चार महीना मा खान पान मा बड़ सावधानी बरते ला परथे।  बरसात के मौसम होय के कारण ये महीना मा सूरज के रौशनी हा भुइँया मा ढंग से नई पड़य पाय। हवा मा तको नमी रहिथे जेकर कारण बैक्टीरिया, कीड़ा मकोड़ा, छोटे छोटे जीव हवा मा अबड़ पनपथे। भाजी पाला मा नानम प्रकार के कीड़ा मन तको रहिथे। चौमासा मा हमर तन के पाचन शक्ति तको कमजोर रहिथे अउ कतको प्रकार के बीमारी मन तको फइले के डर बने रहिथे। चौमासा मा हल्का पुलका सुपाच्य  खाना खाय बर कहिथे। ये महीना मा मास, मछली खाय बर मनाही रहिथे।
*छत्तीसगढ़ मा चौमास के महत्व*
              हमर छत्तीसगढ़ मा चौमास आषाढ़, सावन, भादो अउ कुंवार महीना के बड़ महत्व हावय। छत्तीसगढ़ राज कृषि प्रधान राज आय अउ इहाँ के जम्मो मनखे मन खेतिहर जिनगी से जुड़े हावय। हमर छत्तीसगढ़ के खेती किसानी के शुरुवात ये चौमासा मा ही होथे बुवाई, रोपाई, निदाई जम्मो कार्य आषाढ़ से कुंवार तक होथे अउ इहि महीना मा ज्यादा रेख देख करे ला परथे। छत्तीसगढ़ मा तिहार के शुरुवात इहि चौमास ले होथे। पहली हरेली तिहार फेर इतिवार या सोमवार (सवनाही) तिहार,नागपंचमी, राखी तिहार, भोजली तिहार, कमरछठ, आठे कन्हैया, तीजा पोरा, गणेश चतुर्थी, पितर पाख अउ मा दुर्गा स्थापना शारदीय नवरात्रि। ये जम्मो तिहार ला छत्तीसगढ़ के लोग बाग मन बड़े धूम धाम से मनाथे। चौमासा मा कभू कभू दिन हा रात बरोबर लगथे काबर की बरखा रानी अपन रंग मा रहिथे ता ऊंखर करिया करिया बादल सुरुज देव् ला ढंग देथे अउ जग हा कुलप अँधियार हो जाथे। इहि चौमास मा नदिया, नरवा, तरिया, बाँध जम्मो लबालब भर जा रहिथे। चारो मुड़ा हरियर हरियर रुख राई देखे बर मिलथे अइसे लगथे जैसे स्वर्ग अउ धरती एक होंगे हावय। प्रकृति अपन चरम सीमा मा रहिथे अउ जन मानस ला अबड़ भाथे। किसान अउ बनिहार मन प्रकृति के बड़ मजा लेवत घाम, भूख - प्यास अउ दुख पीड़ा बुलाये खेतिहर काम ला करत रहिथे। कभू कभू ये चौमास मा बरखा रानी पानी नई गिराय अउ अकाल होय के डर रहिथे ता जम्मो परब मा किसान अउ बनिहार मन के पीड़ा ला छलकत देखे जा सकथे।
*छत्तीसगढ़ साहित्य मा चौमास
        मँय सुरता करावत हव हमर पुरखा कवि  अउ लेखक मन ला जेमन कतका सुघ्घर चौमास के बखान करे हावय................
1) *कवि कपिलनाथ कश्यप जी  के लेख "चौमासा"  मा पूरा चौमास के सुघ्घर बखान हावय। ऊँखर लेख चौमासा ला पढ़े मा मन ला विभोर कर देथे। 
2) जनकवि कोदूराम "दलित" जी के कविता ला देखव कतका सुग्घर बखान करे हावय.......
गीले होगे मांटी, चिखला बनिस धुरी हर,
बपुरी बसुधा के बुताइस पियास हर।
हरियागे भुइयां सुग्धर मखेलमलसाही,
जामिस हे बन, उल्होइस कांदी-घास हर।।
जोहत रहिन गंज दिन ले जेकर बांट,
खेतिहर-मन के पूरन होगे आस हर।
सुरुज लजा के झांके बपुरा-ह-कभू-कभू,
"रस-बरसइया आइस चउमास हर"।।
3) जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया जी के एक गीत ला देखव ......
*सावन आगे आबे आबे आबे संगी मोर*
रहि-रहि के माँदर कस बाजत अगास मा
खेती-खार छ्लछलावय, रिमझिम बरसात मा
तरिया ताल लबलबावय, नरवा नदिया डबडबावय
पुरवइया नीक लागे हो…...
झुलवा बँधागे पीपर-आमा के थांग मा
आगे हरेली, मजा लागय झूमर नाच मा
जुड़ जुड़हा सिपा मारय, घुर घुरहा हिया काँपय
पुरवइया नीक लागे हो…..
4) *कुंज बिहारी चौबे* (क्रांतिकारी कवि)
रहि रहि के गरजत हे बादर जी
बड़े बिहिनिया ले करे हे झक्कर जी
रुमझुम रुमझुम बरिसत हे पानी
कइसे मँजा के मोर खेती किसानी
रेंग बइला झप झप, झिन कर आंतर
चल मोर भइया बियासी के नांगर।
5) कवि *लाला जगदलपुरी* जी
खेती ला हुसियार बनाये बर
भुइयाँ मा बरखा आथे।
जिनगी ला ओसार बनाये बर
भुइयाँ मा बरखा आथे।
सोन बनाये बर माटी ला
सपना ल सिरतोन करे बर
आँसू ला बनिहार बनाये बर
भुइयाँ मा बरखा आथे।
6) पुरखा कवि *हरि ठाकुर* जी
भरगे ताल तरैया भैया भरगे ताल तरैया।
झिमिर झिमिर जस पानी बरसे
महकै खेतखार के माटी
घुडुर घुडुर जस बादर गरजै
डोलै नदिया परबत घाटी
नांगर धरके निकलिन घर से, सबै किसान कमैया।।
    
         अब मँय नवा कवि डहर आप सब मन के ध्यान ला लेगत हौवव। खासकर के छंद परिवार के कवि मन डहर जौन सुघ्घर सुघ्घर अलग अलग छंद मा सुघ्घर रचना करे हावय........
1) चौमास (शिव छंद)-जीतेंन्द्र वर्मा "खैरझिटिया" के कविता के एक अंश ला देखव......
घन घनन घनन करे। सन सनन पवन करे।
रझ रझारझ जल झरे। खेत खार सर भरे।
चंचला चमक चमक। नैन मुँद तमक तमक।
नाचथे असाड़ मा। बन नदी पहाड़ मा।
2) *कुण्डलिया छंद--आशा देशमुख जी* के
*असाढ़* मा देखव.........
आगे हवय असाढ़ अब,हाँसत हवँय किसान।
नॉगर बइला ला धरे, अउ टुकनी मा धान।
 अउ टुकनी मा धान,खेत कोती जावत हें।
मन मा खुशी अपार,गीत मन भर गावत हें।
पानी बरसत देख,ताप भुइयाँ के भागे।
खेती मीत असाढ़,झमाझम नाचत आगे।
*3) वाम सवैया - बोधन राम निषादराज जी* के कविता मा देखव.......
भरे अब सावन मा धनहा अब देख किसान जुड़ावत हावै।
बियास करे सब धान ल देखव मूड़ उठा लहरावत हावै।।
इहाँ भुइँया सब डाहर सुग्घर सावन मा हरियावत हावै।
छमाछम बूँद ह नाचत गावत शोर घलो बगरावत हावै।।
*4) दुर्मिल सवैया जगदीश हीरा साहू जी* के *बरसे बदरा* के कविता ला देखव........
बरसे बदरा बिजली चमके, सुन झींगुर गीत सुनावत हे।
छइँहा खुसरे बइला गरुवा, सब जा परछी सकलावत हे।।
दबके बइठे मनखे घर मा, घबरावय जीव लुकावत हे।
नइ रेंगत हे रसता मनखे,  मन मा डर आज सतावत हे।।
*2) बरखा रानी सार छंद- हेमलाल साहू* जी के कविता के एक अंश देखव......
करिया करिया बादर देखत, हाँसत हे जिनगानी।
सबके मन मे आस जगत हे, आही बरखा रानी।1।
रुमझुम रुमझुम पानी बरसे, खड़े किसान दुवारी।
सावन भादो महिना आगय, रात लगे अँधियारी।।2।
         ये प्रकार ले छत्तीसगढ़ साहित्य मा जुन्ना मन के बाद नवा पीढ़ी के बहुत झन कवि मन चौमास के बखान करे हावय सबके रचना ला सामिल करहूँ त बहुत लम्बा लेख हो जाही ।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा