आगे देवारी तिहार कहाँ अंजोर आये घर दुवार। देख आँखी ले आँसू बोहावत भींगत अँचरा दाई के। घर के बेटा परबुधिया होंगे , आस कहाँ कोउनो भाई के। सबो राज पाठ परदेसिया करय कहाँ बाँचय लाज बेटी माई के। घर के बेटा दारू मा चूर हवे उतरत रोज लाज बेटी माई के। बेटा ला का फरक पड़े बने दलाल बेचत लाज माई के। भाई के गर भाई काटे देख परोसी करै राज ला। अपन जाँगर के भरोसा छोड़ आज बनगे सबो अलाल। खेती खार सब बेच खाये अब घूमे कुकुर बनके जात। सबो जगह लात खात फिर भी समझ नई आत। कब समझही माटी के पीरा रखही कब लाज बेटी माई के। जागव भैया अब अपन हक ला पहचानव जी। दारू के संग छोड़ काम मा हाथ बँटावव जी। माटी दाई के लाज रखव परदेसिया राज हटावव जी। बनव जागरूक मनखे अब बईमान ला भगाव जी। दाई के आँसू पोछव बोलव महतारी भाखा ला। पइसा खातिर झन बेचव अपन मान ईमान ला। करत हेम विनती हवे रैहव सबो सुख मा। राखव बिस्वास ला भाई भाई झन करव मनमानी जी। करव राज मिलके भाई भाई तब आही देश मा नवा अंजोर जी।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
छत्तीसगढ़ मो. 9977831273