आज आठे ला मनाय चार दिन होगे हवे। देख तीजा लिहइया मन के आवई जावई चलत हवै। तिजहारिन दीदी बहनी मन आत जात हवै। मोटर बस के भीड़ के ठिकाना नई हवे। तीजा पोरा तिहार हमर छत्तीसगढ़ के बड़का तिहार आय। इहि तिहार में गाँव भरके बेटी माई एक जगह सकलाथे। अपन अपन दुःख सुख ला गोठियाथे। धन्य हवै हमर गाँव तीजा पोरा के तिहार मा गाँव भरके बेटी माई सकलाही। जय हो मोर छत्तीसगढ़ तोर महिमा अपरम्पार।
फुलमतिया अपन नोनी के मुड़ी ला कोरत हवै। नोनी दाई ला कहत हवे जल्दी कोर दाई इसकूल बर देरी होत हवे मोर सहेली मन गोरत हवै। नोनी सात बरस के होगे हवे दूसरी किलास में पढ़त हवै। नोनी बड़ चंचल सवभाव के हवे। मुड़ ला कोरा के इसकूल जाथे अपन संगवारी धनिया संग। इसकूल जाथे त पता चलथे की ओकर एकझन संगवारी फुलेसवरी हा ममा गाँव चल दे हवे। धनिया से नोनी पूछथे ममा गाँव काय होथे यार अउ मोर घर तो एको साल मोर ममा नाव के नई आय। धनिया हाँसत हाँसत बताथे। ममा गाँव माने दाई के गाँव जिहा ममा मामी, ममादाई बाबू, मौसी अऊ भाई बहनी रथे। नोनी अरे वाह मजा आत होही न, धनिया हव यार ममा गाँव जाबे त कोनो मारे न पिटे चारो मुड़ा ले मया दुलार मिलथे। रंग रंग के खाय ला अउ पहिरे ला मिलथे। नोनी के तको मन में ममा गाँव के लालसा जाग जथे। इसकूल के छुट्टी होगे। नोनी घर आके संगवारी संग खेले के धुन में हवै। ओतके बेरा धनिया ला ओकर दाई बुला के ले जथे चल तोर ममा गाँव जाबो। नोनी ला अपन ममा गाँव के सुध लग जथे अऊ घर कुती अपन आ जथे मन मा सोचत रथे सबके ममा बबा मन लेगे ला आथे। मोर ममा, बबा मन काबर हमन ला लेगे ला नई आय। नोनी घर में आके अपन दाई ला पूछथे दाई हमर ममा मन एको साल काबर नई आय लेगे ला। सबके ममा मन अपन दीदी बहनी के संग में भांची भाचा ला लेगे ला आथे। एतका बात ला सुनके नोनी के दाई के आँखी ले आँसू तरतर तरत निकले लागथे। ओकर आँखी मा दाई बाबू, भाई बहनी, संगी संगवारी के चेहरा झुलगे। ओकर जवानी के घाव हा ताजा होगे। चुपकन आँसू ला दबाके मनमें ढाढ़स बंधाके नोनी ला कथे कइसे करबे नोनी तोर ममा मन लेगे ल नई आय त, बरपेली कइसे चल देबो। नोनी कथे हमर जम्मो संगवारी मन ममा गाँव जात हवै महूँ ला ममा गाँव देखे के सउख लागथे दाई। ऊहो ममा दाई, बबा, ममा मामी उकर लइका मोर भाई बहनी होही न दाई। फुलमतिया नोनी के बात ला सुन सिसकपरथे अऊ ओकर आँखी ले आँसू निकल जाथे।नोनी दाई ला देखके कथे देख हमर दाई ला नाव लेते ही मया पलपलावत हवै अऊ सुरता मा रोवत हवे। नोनी तको रोय ला धर लेथे अऊ कथे का होगे दाई हमर ममा मन ला मया नई लागे त। महतारी हा नोनी ला पोटार बोम फाड़के रो डरथे। ओतके बेरा नोनी के ददा समारू आ जथे अऊ कथे तुमन काबर रोवत हव। मोर रहत ले काबर चिंता करथव कुछ कमी हवै त बताव। दुनो झन के आँसू ला पोछथे अऊ चुप कराथे। समारू समझ जथे तीजा पोरा आय हवै त दाई बाबू दीदी बहनी भाई के सुरता में रोवत हवै कहिके।नोनी रोवत रोवत सुत जथे। समारू कथे फुलमितया में जान डरेव तोर दरद ला ओ 7 बछर होगे हमन ला अपन गाँव से अलग करै। भगवान के दया से येदे रइपुर शहर में जियत खात हन बने नउकरी करके फेर अपन जनम भुइया अऊ महतारी के सुरता नई भुला पाये हन। हा सही कहत हस जी ओतेक दिन ले अपन मन ला मारके रहत रहेंव फेर आज नोनी ममा गाँव जाय बर कहत रहिस हवै त में अपन आप ला नई रोक पाय हव। तीजा पोरा तिहार हर बेटी के बड़का तिहार आय। कोन बेटी अपन दाई ददा के ये तिहार ला छोड़ सकत हवै।बोरो महिना के ये तिहार में गाँव के जम्मो संगी संगवारी, गाँव भर के बेटी माई सकलाही अऊ अपन सुख दुःख गोठियाही। जेने अभागा रही तेने ये तिहार ला छोड़ही। फुलमितया हा समारू बर खाना लगाथे फेर ओला गाँव के सुरता आ जथे अपन दाई ददा भाई बहनी के कौरा मुँह में जाबे नई करय। समारू भात ला छोड़ उठके रेंग देथे। फुलमतिया तको बिन खाय सो जथे। फुलमितया समारू ला कथे हमर करम के भोगना आज हमर लइका भोगत हवे। बपरी ककरो का बिगाड़े हवै। बस एतके न की ओ हमर लइका बनके आय हवै। बपरी इहि गलती कर परे हे। समारू फुलमतिया हमर लइका के ये सउख हमन नई पूरा कर सकन ओला कोन समझाही की हमन अपन समाज अपन गाँव ले बाहिर हन। समारू मन ला मार दसना ले उठके गली डहर चल देथे ओकर मनके दरद सहन नई होय अऊ रो परथे। फुलमिया के मन मा आज कई ठन सवाल उठत हवै। अपन आप ला कोसते की मै बहुत बड़े गलती कर परेव मोला भाग के दुसर जात मेर सादी नई करना रहिस हवै। मोला अपन दाई ददा के मान मर्यादा रखना रहिस हवै। मोर दाई बाबू ऊपर का बीतिस होही कइसे 7 बछर उकर बीतिस होही। फेर फुलमितया कथे फेर मोर गलती का रहिस हवै में तो अपन साथ में पढ़े लिखे लड़का मेर सादी करै हव। महूँ हा पढ़ै लिखे हव महूँ ला समझ हवै। समाज ला कथे वाह रे मोर समाज अपन दाई ददा अऊ मया जार ले दूर कर दे। तोला थोरको दया नई आईस। फेर नोनी ला देख कथे में अपन बेटी ला का बताहू। कइसे ओला मानहु की तोर ममा घर नई जा सकन कहिके। नोनी बाड़ जहि त मोर बारे में का सोचही आज फुलमितया ला अपन गलती के पछतावा होत हवै ओकर जी हा आज कचोटत हवै। अपन समाज मेर चीख चीख के पूछत हवै मोर गलती के सजा मोर बेटी ला काबर मिलत हवै। बपरी ममा गाँव जाहू कहत हे तीजा पोरा मनाय ओला कोन लेगही। फेर हर बछर के तीजा पोरा मा ये घाव हा हरा हो जाही संग में मोर बेटी भोगही। फेर कथे धन्य हे नियाव करने वाला भगवान अऊ धन्य हे हमर समाज नियम बनाने वाला।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
(छत्तीसगढ़) मो.9977831273