माटी दाई के मया, अचरा के हे छाँव। सुघ्घर माटी मोर हे, माटी माथ नवाँव।। उत्ती बेरा के जिहाँ, चिरई बोलय चाॅव । इहि माटी मा हे बसे, मोरो सुघ्घर गाॅव ।। मोर गद्य रचना कोठी
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